ई-कॉमर्स के ज़रिए हर गली तक पहुँची FMCG कंपनियों की पहुँच

29 अप्रैल 2025, नई दिल्ली

भारत का ई-कॉमर्स 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने वाला है -  भारतीय रिटेलर – एफएमसीजी कंपनियों को भले ही शहरी बाज़ारों में खपत में थोड़ी सुस्ती का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स के बढ़ते उपयोग ने इन कंपनियों की बिक्री को नए स्तर पर पहुँचा दिया है। अब उपभोक्ता घर बैठे ही रोजमर्रा की ज़रूरतों का सामान ऑनलाइन मंगा रहे हैं।

हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने बताया कि उसकी कुल बिक्री में ई-कॉमर्स का हिस्सा फिलहाल 7-8% है, जिसे कंपनी अगले कुछ वर्षों में 15% तक बढ़ाना चाहती है। HUL के CEO रोहित जावा ने कहा कि क्विक कॉमर्स भले ही अभी एक छोटा हिस्सा हो, लेकिन इसकी वृद्धि दर तेज है।

इसी तरह टाटा कंज़्यूमर प्रोडक्ट्स के CEO सुनील डिसूजा ने बताया कि उनकी कंपनी की आय में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 14% है, जिसमें से करीब आधा हिस्सा क्विक कॉमर्स से आता है। उन्होंने यह भी बताया कि ई-कॉमर्स अब शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 50-50 की भागीदारी दिखा रहा है।

नेस्ले इंडिया ने भी बड़ी छलांग लगाई है – जहाँ 2016 में उनकी ई-कॉमर्स से आय सिर्फ 1% थी, अब यह 2025 के अंत तक 8.5% तक पहुँच चुकी है। चेयरमैन सुरेश नारायणन ने कहा कि कंपनी ओम्नी-चैनल रणनीति पर काम कर रही है ताकि उपभोक्ताओं को हर मंच पर उनके पसंदीदा उत्पाद मिल सकें।

बिगबास्केट के सीनियर एग्जीक्यूटिव सेषु कुमार ने बताया कि कई एफएमसीजी कंपनियाँ अब पहले अपने नए उत्पादों को ई-कॉमर्स पर लॉन्च करती हैं और उसके बाद उन्हें ऑफलाइन बाज़ार में लाती हैं — खासतौर पर अगर उत्पाद शहरी या प्रीमियम वर्ग को लक्षित करता हो।

यह ट्रेंड दर्शाता है कि कैसे डिजिटल माध्यमों के ज़रिए एफएमसीजी ब्रांड्स भारत के हर मोहल्ले और घर तक अपनी पहुँच बना रहे हैं, और यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक है, बल्कि कंपनियों के लिए भी रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो रहा है।

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